Wednesday, September 30, 2009

गर्भाशय संबंधी रोग (Uterus Diseases)

गर्भाशय संबंधी रोग (Uterus Diseases)

गर्भाशय का टलना(Prolapse of the Uterus)

लक्षण: पेट और कमर के निचले हिस्‍से में बैचेनी, ऐसा आभास होना कि कुछ नीचे आ रहा है, माहवारी में अधिक स्राव, कम मात्रा में योनि स्राव, बार-बार पेशाब आना, सम्‍भोग में कठिनाई।

कारण: भोजन ठूस-ठूस कर खाना, गैस, पुरानी कब्‍ज, तंग कपड़े पहनना। पेट की कमजोर आंतरिक मांसपेशियॉं, व्‍यायाम की कमी, अन्‍य दूसरे रोग, प्रसव(Delivery) के समय बरती गई असावधानियॉं।

गर्भाशय की सूजन ( Inflammation of the Uterus)

लक्षण: हल्‍का बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमर और पेट के निचले भाग में दर्द, योनि में खुजलाहट।

कारण: माहवारी के समय ठंड लग जाना, अधिक सहवास, गर्भाशय का टलना, औषधियों का सेवन, गलत आहार-विहार।

गर्भाशय संबंधी रोगों का उपचार:

चार-पांच दिन केवल रसाहार, फिर अपक्‍वाहार और फिर संतुलित आहार पर आयें।

नमक, मिर्च-मसाला, तली-भुनी, मिठाईयां इत्‍यादि से परहेज रखें।

पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, गर्म ठंडा कटिस्‍नान करें, टब में नमक डालकर पन्‍द्रहबीस मिनट तक बैठें।

प्रतिदिन दो-तीन बार एक-दो घंटा पांव को एक फुट ऊंचा उठाकर लेटें। पूर्ण विश्राम एवं शवासन करें।

वायु विकार

वायु विकार

लक्षण: बदहजमी से पेट में गैस बनने लगती है। जो बार-बार गुदा मार्ग से निकलती रहती है या रूक जाती है। यह शरीर में वात रोग पैदा करती है। जैसे पेट फुल जाना (अफारा), बेचैनी, बदन दर्द, दिल घबराना, काम में मन न लगना, भूख का मर जाना, स्‍नायुविक दुर्बलता, शारीरिक एवं मानसिक असंतुलन।

कारण: कब्‍ज, अपच, बेमेल भोजन, ठीक से चबाकर न खाना, पर्याप्‍त श्रम एवं विश्राम का अभाव, मलमूत्र का देर तक रोकना, भय, शोक, चिंता, तनाव, असंतुलित आहार विहार।

उपचार: एक दो दिन का उपवास रसाहार पर करें। गर्म पानी में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर दिन में तीन चार बार लें। मट्ठा का प्रयोग करें। फिर कुछ दिन फलाहार पर रहकर जिसमें भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां, अंकुरित इत्‍यादि हो उसके बाद सामान्‍य आहार पर आयें। चोकर समेत आटे की रोटी थोड़ा चने का आटा मिलाकर खायें। भोजन को ठीक से चबाकर खायें। अधिक गर्म या अधिक ठंडा भोजन न लें। साप्‍ताहिक उपवास अवश्‍य करें। केवल दो समय भोजन करने का नियम बनायें। चीनी, चाय, तली-भुनी चीजे, मैदा, इत्‍यादि का सेवन न करें। भोजन के उपरांत वज्रासन में बैंठें। रोज रात को भिगोए हुए दस दाने मुनक्‍का एवं दो अंजीर खायें। रोज रात को त्रिफला चूर्ण पानी के साथ लें। हरा धनिया खायें।

छोटी हरड को मुंह में रखकर चूसते रहें। भोजन के पश्‍चात आठ सांस पीठ के बल लेटकर, सोलह सांस दाहिनी करवट लेटकर और बत्‍तीस सांस बांयी करवट लेटकर लें।

पेट पर गर्म ठंडा सेक देकर एनिमा लें, कटिस्‍नान, पेट की लपेट या मिट्टी पट्टी, शंख प्रक्षालन, दांया स्‍वर चलाना।

सुप्‍तपवन मुक्‍तासन, पश्चिमोत्‍तानासन, धनुरासन, शलभासन, उत्‍तानपादासन, भुजंगासन, हलासन, मयूरासन, नौकासन करें।

पीठ के बल लेटकर साईकलिंग एवं उड्डियान बंध व कपाल भाति प्राणायाम करें।

Wednesday, September 23, 2009

पेट दर्द का घरेलू इलाज

गलत खानपान के कारण कभी-कभी बच्चों और बड़ों को पेट दर्द होने लगता है। पेट दर्द को दूर करने हेतु एक घरेलू इलाज इस प्रकार है, जो दर्द दूर करने के साथ ही पेट की क्रियाओं को भी ठीक करता है-

नुस्खा : गुड़ दस ग्राम लेकर इसमें आधा चम्मच खाने का गला हुआ चूना मिलाकर गोली बना लें। इसे एक गिलास गुनगुने पानी के साथ निगलकर ऊपर से पानी पी जाएं और बिस्तर पर लेट जाएं। थोड़ी ही देर में पेट दर्द ठीक हो जाएगा।

यूं तो पेट दुखने के अलग-अलग कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर पेट दर्द का एक मुख्य कारण अपच, मल सूखना, गैस बनना यानी वात प्रकोप होना और लगातार कब्ज बना रहना भी है। पेट दर्द होने पर निम्नलिखित नुस्खा प्रयोग करना चाहिए-

चिकित्सा : करंज के बीज की मिंगी 50 ग्राम, कच्ची हींग 10 ग्राम, शुद्ध हिंगुल 3 ग्राम, शंख भस्म 10 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम। पहले करंज की मिंगी को कूट-पीस कर बारीक चूर्ण कर लें, फिर हींग व शंख भस्म मिलाकर शुद्ध हिंगुल पीसकर मिलाकर सबको एक जान कर लें। गुड़ की थोड़ी सी चाशनी बनाकर इस चाशनी में मिश्रित चूर्ण डालकर 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें और छाया में सुखा लें। ये 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से पेट दर्द दूर होता है, आध्मान आनाह, सिर दर्द आदि व्याधियों में भी लाभ होता है। यह नुस्खा बनाने में आसान है, फिर भी यदि कोई इसे घर में न बना सके तो बाजार से खरीद सकता है। यह नुस्खा 'उदर शूल हर वटी' के नाम से बना बनाया
बाजार में मिलता है।
पेट में कई बार तेज जलन होती है, कभी इतनी तेज होती है कि लगता है जैसे पेट में आग लग गई हो या भट्टी जल रही हो। यह जलन खान-पान पर भी निर्भर रहती है।

कभी मिर्च न खाने वाले या कम खाने वाले को ज्यादा मिर्च का भोजन खाना पड़ जाए, तो भी यह परेशानी आ सकती है। कभी शरीर में गर्मी बढ़ जाने से भी जलन होती है, पेट हमारे शरीर का केन्द्र होता है, इसमे किसी प्रकार की खराबी नहीं होना चाहिए।

चिकित्सा : पुष्कर मूल, एरंड की जड़, जौ और धमासा चारों को मोटा-मोटा कूटकर शीशी में भर लें। एक गिलास पानी में दो चम्मच चूर्ण डालकर उबालें। जब पानी आधा कप बचे तब उतारकर, आधा सुबह व आधा शाम को पी लिया करें। पेट की जलन दूर हो जाएगी। यह प्रयोग 8 दिन तक करके बंद कर दें।

इस प्रयोग के साथ उचित पथ्य आहार का सेवन और अपथ्य का त्याग रखना आवश्यक है। पथ्य आहार में प्रायः कच्चा दूध और पानी एक-एक कप मिलकर, इसमें एक चम्मच पिसी मिश्री या चीनी डालकर फेंट लगाएं और खाली पेट चाय या दूध की जगह पिएं। चाय या दूध न पिएं। इस तरह दिन में दो या तीन बार यह लस्सी पिएं। भोजन के अन्त में आगरे का पेठा या पका केला खाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच प्रवालयुक्त गुलकंद खाएं, दोपहर में आंवले का मुरब्बा (एक आंवला) खूब चबा-चबाकर खाएं। तले हुए और उष्ण प्रकृति के पदार्थ न खाएं।

फटी एड़ियां

शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाने, नंगे पैर चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की एड़ियां फट जाती हैं।

यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है- जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।

घरेलू इलाज

* अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।

* त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।

चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।

* गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।

* रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं।

कई रोगों की दवा 'प्याज'

प्याज को लगभग हर सब्जी में डाला जाता है। इसे सलाद के रूप में कच्चा भी खूब खाया जाता है। प्याज हरा और सूखा दोनों प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है। यकीनन प्याज के प्रयोग से भोजन का स्वाद बढ़ जाता है परंतु यह केवल भोजन को स्वादिष्ट ही नहीं बनाता अपितु इसमें अनेक ऐसे तत्व होते है, जिनसे शरीर को पोषण मिलता है साथ ही यह अनेक रोगों के लिए औषधि का काम भी करता है। यह भोजन पचाने में सहायता करता है तथा शरीर का बल बढ़ाता है। प्याज अच्छा रक्त विकार नाशक भी है।

* रक्त विकास को दूर करने के लिए 50 ग्राम प्याज के रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भूना हुआ सफेद जीरा मिला लें।

* कब्ज के इलाज के लिए भोजन के साथ प्रतिदिन एक कच्चा प्याज जरूर खाएँ। यदि अजीर्ण की शिकायत हो तो प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उसमें एक नीबू निचोड़ लें या सिरका डाल लें तथा भोजन के साथ इसका सेवन करें।

* बच्चों को बदहजमी होने पर उन्हें प्याज के रस की तीन-चार बूँदें चटाने से लाभ होता है। अतिसार के पतले दस्तों के इलाज के लिए एक प्याज पीसकर रोगी की नाभि पर लेप करें या इसे किसी कपड़े पर फैलाकर नाभि पर बाँध दें।

* हैजे में उल्टी-दस्त हो रहे हों तो घंटे-घंटे बाद रोगी को प्याज के रस में जरा सा नमक डालकर पिलाने से आराम मिलता है। प्रत्येक 15-15 मिनट बाद 10 बूँद प्याज का रस या 10-10 मिनट बाद प्याज और पुदीने के रस का एक-एक चम्मच पिलाने से भी हैजे से राहत मिलती है।

* हैजा हो गया हो तो सावधानी के तौर पर एक प्याला सोडा पानी में एक प्याला प्याज का रस, एक नीबू का रस, जरा सा नमक, जरा-सी काली मिर्च और थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर पी लें, इससे हाजमा दुरुस्त हो जाएगा तथा हैजे का आक्रमण नहीं होगा।

* बारह ग्राम प्याज के टुकड़े एक किलोग्राम पानी में डालकर काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार नियमित रूप से पिलाने से पेशाब संबंधी कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे पेशाब खुलकर तथा बिना कष्ट आने लगता है।

* खाँसी, साँस, गले तथा फेफड़े के रोगों के लिए व टांसिल के लिए प्याज को कुचलकर नसवार लेना फायदेमंद होता है। जुकाम में भी प्याज की एक गाँठ का सेवन लाभदायक होता है।

* पीलिया के निदान में भी प्याज सहायक होता है। इसके लिए आँवले के आकार के आधा किलो प्याजों को बीच में से चीर कर सिरके में डाल दीजिए। जरा सा नमक और कालीमिर्च भी डाल दीजिए। प्रतिदिन सुबह-शाम एक प्याज खाने से पीलिया दूर होगा।

* प्याज को बारीक पीसकर पैरों के तलुओं में लेप लगाने से लू के कारण होने वाले सिरदर्द में राहत मिलती है।
* कान बहता हो, उसमें दर्द या सूजन हो तो प्याज तथा अलसी के रस को पकाकर दो-दो बूँदें कई बार कान में डालने से आराम मिलता है। यदि कोई अंग आग से जल गया हो तो तुरंत प्याज कूटकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए।

* विषैले कीड़े, बर्र, कनखजूरा और बिच्छू काटने पर प्याज को कुचलकर उसका लेप लगाना चाहिए। बिल्ली या कुत्ते के काटने पर रोगी को डॉक्टर के पास जाने तक प्याज और पुदीने के रस को तांबे के बर्तन पर डालकर प्रभावित स्थान पर लगाइए इससे विष उतर जाएगा।

* हिस्टीरिया या मानसिक आघात से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे होश में लाने के लिए प्याज कूटकर सुँघाएँ इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है।

* मूत्राशय की पथरी को दूर करने के लिए रोगी को प्याज के रस में शकर डालकर शर्बत बनाकर पिलाएँ। ऐसा शर्बत नियमित रूप से पिलाने से पथरी कट-कटकर निकल जाती है। इस दौरान रोगी को टमाटर, साबुत मूँग तथा चावल न खाने दें। रोगी को भोजन के साथ एक खीरा खाने को दें। साथ ही रोगी को खूब पानी पीने के लिए कहें।

* किसी नशे में धुत व्यक्ति को यदि एक कप प्याज का रस पिला दिया जाए तो नशे का प्रभाव काफी कम हो जाता है।

मुँहासों का घरेलू उपचार

* मुँहासे खूबसूरत चेहरे पर लगे धब्बे हैं, अतः इनसे निजात पाना जरूरी है। इसके लिए सुविधानुसार कोई भी तरीका चुना जा सकता है-

* नीम के साबुन से प्रतिदिन स्नान करें अथवा पानी में दो-चार बूँद डेटॉल डालकर स्नान करें।

* चंदन में गुलाब जल डालकर उसका लेप लगाने से भी लाभ होता है। मुँहासों पर आधे घंटे तक यह लगा रहने दें। फिर साफ ठंडे पानी से धो लें। प्रतिदिन इस क्रिया को दोहराएँ। पंद्रह दिनों में काफी फर्क पड़ जाएगा।

* थोड़ा सा चंदन और एक-दो पत्ती केसर पानी के साथ घिसकर प्रतिदिन आधे घंटे तक मुँहासों पर लगाएँ। तत्पश्चात चेहरा साफ-ठंडे पानी से धो लें।

* पुदीने को पीसकर मुँहासों पर लगाने से भी लाभ होता है। ऐसा प्रतिदिन आधे घंटे तक 15 दिनों तक करना चाहिए।

* तुलसी के पत्तों के रस में टमाटरों का रस मिलाकर लगाने से मुँहासों में लाभ होता है।

* चेहरे पर नींबू रगड़ने से भी मुँहासे दूर होते हैं।

* जामुन की गुठली को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुँहासे दूर होते हैं।

* दही में कुछ बूँदें शहद की मिलाकर उसे चेहरे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में मुँहासे दूर हो जाते हैं।

* तुलसी व पुदीने की पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी मुँहासों से निजात मिलती है।

* नीम के पेड़ की छाल को घिसकर मुँहासों पर लगाने से भी मुँहासे घटते हैं।

* जायफल में गाय का दूध मिलाकर मुँहासों पर लेप करना चाहिए।

* हल्दी, बेसन का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से भी मुँहासे दूर होते हैं।

* नीम की पत्तियों के चूर्ण में मुलतानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें व इसे चेहरे पर लगाएँ।

* नीम की जड़ को पीसकर मुँहासों पर लगाने से भी वे ठीक हो जाते हैं।

* काली मिट्टी को घिसकर मुँहासों पर लगाने से भी वे नष्ट हो जाते हैं।

* दिन में कम से कम 5-6 बार चेहरा ग्लिसरीनयुक्त साबुन से धोएँ।

* किसी भी तरह की सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का इस्तेमाल मत कीजिए।

* गरिष्ठ भोजन की बजाए सादा, सात्विक भोजन लें। अधिक मात्रा में तेल-घी, मिर्च-मसाले, अचार आदि का सेवन न करें। कब्जियत से बचें। दिन में आठ-दस गिलास पानी अवश्य पीएँ।

* सिर में यदि रूसी हो तो उसका उपाय कीजिए।

* बालों में तेल या अन्य कोई चिकनाईयुक्त क्रीम न लगाएँ।

* चाय कॉफी, मांस, मछली, शराब आदि का सेवन न करें।

* विटामिन-सी का सेवन मुँहासों के लिए बहुत लाभदायक है। विटामिन के रूप में नींबू का सेवन करें।

* व्यायाम करने से रक्त संचार बढ़ता है और तैलीय ग्रंथियों में रुकावट नहीं आती। इससे मुँहासे कम हो जाते हैं।
* ताँबे के बर्तन में पीने का पानी रखना।

* सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीना।

* सुबह का खाना दस से बारह बजे के बीच खाना।

* खाना खाते समय खुश रहना।

* भोजन के साथ सलाद खाना।

* दोनों समय के भोजन के बीच सात घंटे का अंतर।

* खाने के साथ थोड़ा पानी पीना, ज्यादा नहीं।

* खाना खाने के बाद कुल्ला करना।

* खाना खाने के बाद पाँच सौ कदम चलना।

* रात का खाना छः से नौ बजे के बीच खाना।

* रात को दस बजे के बाद कुछ नहीं खाना।

* रात को सोने के पहले दूध पीना।

* खाना खाने के बाद बाईं करवट आराम करना।

* रात का खाना सोने से दो घंटे पूर्व खाना।

* रात को ब्रश करके सोना।

* खाने का समापन मिठास (मिठाई) के साथ करना।

जरूरी नुस्खे

* शाम को भोजन के पश्चात देर रात तक जागना या खुले बदन घूमना हानिकारक है किंतु सुबह की धूप जरूर लें।

* इस ऋतु में आलस्य खूब आता है और बिस्तर में दबे रहने का इरादा होता है, लेकिन आलस्य करना ठीक नहीं। इन बातों पर अमल करके आप तंदुरुस्त और बलवान बन सकते हैं।

* कमजोरी : जो लोग दुबलेपन का शिकार हैं उन्हें भोजन के साथ दो या तीन चम्मच शहद खाना चाहिए तथा रात को सोते समय ठंडे फीके दूध में शहद घोलकर पीना चाहिए।

* थकावट : एक गिलास ठंडे पानी में 1-2 चम्मच शहद घोलकर पीने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है।

* अपच : अपच होने पर पालक की सब्जी खाएं व टमाटर का रस पीएं।

* पैर के तले में जलन होना : पैर के तलवे में जलन होने पर बड़े-बड़े लौकी के टुकड़े काटकर उस पर घिसें।

* कब्ज : कब्ज न हो इसलिए दोनों समय खाना खाने के बाद थोड़ा-सा गुड़ खा लें।

* बवासीर : नीबू काटकर, उस पर खाने का कत्था लेपकर रात को छत पर रख दें। सुबह-सुबह इसे चूसें, बवासीर में लाभ होगा।

* खूनी बवासीर : अमरूद काटकर नौसादर का लेप करें, रातभर खुले स्थान पर रखें, सुबह-सुबह खा लें। खूनी बवासीर में लाभ होगा।
* गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन की 2 कली छीलकर 2 चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएँ। फौरन आराम होगा।

* प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियाँ आना बंद हो जाती हैं।

* सूखे तेजपान के पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करने से दाँत चमकने लगते हैं।

* हिचकी चलती हो तो 1-2 चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें।

* ताजा हरा धनिया मसलकर सूँघने से छींके आना बंद हो जाती हैं।

* प्याज का रस लगाने से मस्सों के छोटे-छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं।

* यदि नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ।

* एक कप गुलाब जल में आधा नीबू निचोड़ लें, इससे सुबह-शाम कुल्ले करने पर मुँह की बदबू दूर होकर मसूड़े व दाँत मजबूत होते हैं।

* भोजन के साथ 2 केले प्रतिदिन सेवन करने से भूख में वृद्धि होती है।

* आँवला भूनकर खाने से खाँसी में फौरन राहत मिलती है।

* 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत मिलती है।

* टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप लगाने से त्वचा की कांति और चमक दो गुना बढ़ जाती है। मुँहासे, चेहरे की झाइयाँ और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है।

* पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान करें।

* उबलते पानी में नींबू निचोड़कर पानी पीने से ज्वर का तापमान गिर जाता है।

* सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

* 250 ग्राम छाछ में 10 ग्राम गुड़ डालकर सिर धोने से अथवा नींबू का रस लगाकर सिर धोने से रूसी दूर होती है।