Tuesday, September 22, 2009

आँवला है सर्वगुणकारी



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आँवले का प्रयोग भोजन में करने से जहाँ हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, वहीं यह हमें अनेक बीमारियों से बचाता भी है, क्योंकि आँवले में विटामिन 'सी' की मात्रा अधिक होती है। कुछ व्यक्ति तो आँवला कच्चा ही खा लेते हैं। आँवले की तासीर ठंडी होती है। इसलिए सर्दियों में सुबह धूप के सेवन के साथ इसका मुरब्बा खाने से विटामिन 'सी' और विटामिन 'डी' दोनों ही शरीर को प्राप्त हो जाते हैं।

विटामिन 'सी' से भरपूर यह फल सुखाने, गर्म करने, पकाने या चूर्ण रूप में सुरक्षित रखने पर भी अपने विटामिनों का मूल स्वरूप जीवंत रखता है। इसे आप अचार, चटनी या मुरब्बा अथवा अन्य किसी रूप में सुरक्षित करके, किसी भी मौसम में उपयोग कर सकते हैं। शीतऋतु में सुरक्षित आँवले से बने पदार्थों का गर्मी में सेवन अमृत के समान होता है। यह नेत्र ज्योति के लिए अच्छा है ही साथ ही हृदय धमनियों के अवरोध को दूर कर रक्त प्रवाह को नियमित रखने, शरीर के अन्य अवयवों की गर्मी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही इसकी सर्वकालिक उपयोगिता है।

आँवले को हम वैज्ञानिक कसौटी पर भी विश्लेषित करें तो पाएँगे कि प्रति 100 ग्राम आँवले में 600 मिलीग्राम विटामिन 'सी' रहता है। इसके अलावा प्रोटीन, वसा, रेशा, कैल्शियम, खनिज, लवण, फास्फोरस, लोहा अन्य फलों की तुलना में अधिक रहता है। एक आँवले में 2 संतरे या 5 केलों के बराबर विटामिन 'सी' रहता है। रक्त विकार दूर करने में आँवले जैसे कोई दूसरा फल नहीं। यह रक्त की गर्मी व चित्त के दोषों को तो दूर करता ही है, मस्तिष्क व हृदय की कोशिकाओं को भी दुरुस्त रखता है। भोजन से पहले या भोजन के बाद किसी भी रूप में आँवले का सेवन लाभदायक होता है। यह पायरिया रोग को रोकने में सक्षम है। इसके बारीक सूखे चूर्ण को मंजन के रूप में उपयोग में लाने से दाँत मजबूत एवं चमकदार बनते हैं और मुँह की बदबू दूर होती है।

आँवले को औषधीय रूप में प्रयोग करने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं :-

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आँवला चूर्ण एक चम्मच रात को सोते समय पानी के साथ लेने से या शहद के साथ चाटने से कब्ज में फायदा होता है।

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आँवले का नियमित प्रयोग बवासीर और कृमि भी नष्ट करता है। जननेंद्रिय संबंधी तकलीफों में भी आँवला फायदेमंद होता है।

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