Wednesday, September 23, 2009

तिल खाएँ सेहत पाएँ



सर्दियों में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। तिल तीन प्रकार के होते हैं- काले, सफेद और लाल। काले तिल सभी तिलों में श्रेष्ठ होते हैं।

तिल में प्रोटीन, कैल्शियम और बी कॉम्प्लेक्स बहुत पाया जाता है। तिल के सेवन से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होता है। पचास ग्राम तिल प्रतिदिन खाने से कैल्शियम की आवश्यकता पूरी होती है।

प्रतिदिन दाँत साफ करने के बाद एक बड़ा चम्मच तिल खाएँ। दाँत मजबूत होंगे।

बाल असमय सफेद हो जाएँ या झड़ते हों, तो रोजाना तिल का सेवन करें।



प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल चबा कर खाएँ और ठंडा पानी पी लें। नियमित सेवन से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।

तिल पीस कर शुद्ध घी और कपूर के साथ मिला कर जले स्थान पर इसका लेप लगाएँ।



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कब्ज होने पर पचास ग्राम तिल भूनकर, कूट कर मीठा मिला कर खाएँ।

बच्चा सोते समय पेशाब करता हो़ तो भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिला कर लड्डू बनाएँ। उसे रोज रात में एक लड्डू खिलाएँ।

तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर पिएँ। सूखी खाँसी दूर हो जाएगी।

एक चम्मच काले तिल चबाकर ऊपर से गुनगुना पानी पी लें। पेट दर्द ठीक हो जाएगा।

तिल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियाँ भून कर उस तेल की बूँदे कान में डालें। कान का दर्द ठीक हो जाएगा।

हींग और सोंठ डाल कर गर्म किए हुए तिल के तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, किसी अंग का जकड़ जाना, लकवा आदि रोग मिटते है।

तिल के तेल में थोड़ा सा सेंधा नमक मिला कर मुँह के छालों में लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।

फटी हुई एड़ियों पर गर्म तिल के तेल में सेंधा नमक और मोम मिलाकर लगाने से फायदा होता है।

तिल को पीस कर मक्खन के साथ मिला कर नियमित रूप से चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है और चेहरे के कील मुँहासे भी समाप्त होते है।

किसी भी प्रकार की चोट में तिल के तेल का फाहा रख कर पट्टी बाँधने से शीघ्र लाभ होता है।

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