Wednesday, September 23, 2009

गले के लिए वरदान है मुनक्का

दिखने में छोटी मुनक्का बहुत ही गुणकारी है। इसमें वसा की मात्रा नहीं के बराबर होती है। यह हल्की, सुपाच्य, नरम और स्वाद में मधुर होती है। इसे बड़ी दाख (रेजिन) के नाम से भी जाना जाता है। साधारण दाख और मुनक्का में इतना फर्क है कि यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-

सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।

मियादी और पुराने ज्वर में दस मुनक्का एक अंजीर के साथ सुबह पानी में भिगोकर रख दें। रात्रि में सोने से पूर्व मुनक्का और अंजीर को दूध के साथ उबालकर लें। ऐसा तीन दिन करें। कितना भी पुराना बुखार हो, ठीक हो जाएगा।

जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पाँच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएँ। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।

गलकंठ और दमा रोगियों के लिए भी इसका सेवन फायदेकारक है, क्योंकि मुनक्का श्वास-नलियों के अंदर जमा कफ को तुरंत बाहर निकालने की अद्भुत क्षमता रखती है।

कब्ज के रोगियों को रात्रि में मुनक्का और सौंफ खाकर सोना चाहिए। कब्ज दूर करने की यह रामबाण औषधि है।

जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएँ। इस बीच बच्चे को ठंडी चीजों एवं दही, छाछ का सेवन न करने दें।

एक मुनक्का का बीज निकालकर उसमें लहसुन की फाँक रखकर खाने से उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है।

पच्चीस ग्राम मुनक्का देशी घी में सेंककर और सेंधा नमक डालकर खाने से चक्कर आना बंद हो जाते हैं।

1 comment:

  1. sir
    mari mummy ke galay me se dekar aati hai or blood ki wormating bhi hoti hai kya aap kuch help kar sakte hai sir pleaz call me on 9807662918

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