परिवार में या घर में जब कोई बीमार हो जाता है तो कुछ लोगों का रवैया उनके प्रति उपेक्षा का हो जाता है, जैसे बीमार होने वाले ने कोई अपराध कर दिया हो।
छोटे परिवार में तथा नौकरी-पेशा परिवार में तो बीमार की ज्यादा ही उपेक्षा हो जाती है। कोई भी अपनी मर्जी से बीमार नहीं होता, न ही किसी को बीमार होने का शौक होता है।
यदि आपके साथ इस प्रकार की कोई परेशानी आ जाए तो आप-
* घबराएँ नहीं, न ही बीमार व्यक्ति को घबराने दें, उसे दिलासा दें व तुरंत डॉक्टर को दिखा दें। कई बार थोड़ी सी उपेक्षा गंभीर परिणाम दे देती है।
* यदि आप डॉक्टर के पास रोगी को ले जा सकें तो ले जाएँ या डॉक्टर को घर पर बुला लाएँ। आप कितने ही बुद्धिमान हों, स्वयं डॉक्टर बनकर उसका इलाज न करें।
* बीमार को भी चाहिए कि परिवार का सदस्य राय देकर कोई दवा अपनी मर्जी से दे रहा है तो वह न खाए, डॉक्टर की सलाह पर ही दवा का सेवन करे।
* अपनी नौकरी से मोह करना ठीक है, लेकिन परिवार के सदस्य से ज्यादा मोह नौकरी का न करें। अर्थात बीमार को तुरंत इलाज दिलाने का प्रयत्न करें।
* महिलाएँ अक्सकर ऐसे में तनावग्रस्त हो जाती हैं, परिवार-बच्चे और ऊपर से बीमार सदस्य। ऐसे में किसी एक महिला को बीमार की सहायता की जिम्मेदारी ले लेनी चाहिए, ताकि दूसरी बच्चों को सम्भाल सके, बच्चों को मरीज से दूर ही रखें।
* जब भी बीमार की सेवा करनी हो, उसे दवा आदि देना हो तो अपनी नाक रूमाल आदि से ढँक लें। ऐसा करने पर बीमार व्यक्ति को बुरा नहीं लगना चाहिए कि उसके पास आने वाला सदस्य इस तरह आ रहा है, यह सुरक्षित तरीका है।
* यदि आपका सदस्य किसी गंभीर बीमारी का शिकार है और आपकी स्थिति ठीक नहीं है तो किसी चैरिटेबल संस्था से संपर्क करें। संस्था को बीमार के सभी पेपर्स दिखाएँ, इससे मदद में आसानी होगी।
Wednesday, September 23, 2009
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