Wednesday, September 23, 2009

मस्तिष्क को रखें शांत

बहुत बेचैनी है? तनावग्रस्त हैं? किसी दु:ख को लेकर चिंता में घिरे हैं? या यूँ ही चिंता में रहने की आदत हो चली है? यह भी हो सकता है कि आपको सिरदर्द की शिकायत हो। कहीं ऐसा तो नहीं कि दिमागी झंझावतों की वजह से आप रातभर करवटें बदलते रहते हों। खैर, जो भी हो, आओ हम आपको दिमाग को शांत रखने के यौगिक उपाय बताते हैं।

प्रतिबंध : कुछ तो स्वयं पर प्रतिबंध लगाना ही होगा। सोचें क‍ि आप ज्यादा क्यों सोचते हैं। दिमाग में द्वंद्व क्यों रखते हैं। अपनी श्वासों को उखड़ा-उखड़ा क्यों रखते हैं, क्यों नहीं गहरी श्वास लेते हैं। चेहरे और आँखों में तनाव क्यों रखते हैं। कपाल पर सिलवटें क्यों बनाएँ रखते हैं? आखिर ऐसा क्या है कि आप भयाक्रांत हैं? चिंता और भय के अलावा भी ऐसी क्या बात है जो आपके मस्तिष्क को अशांत रखती है- इस सबको समझते हुए स्वयं पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करें क्योंकि 'आप' अपने मस्तिष्क और उसकी तमाम हलचलों से श्रेष्ठ और दूर हैं। जरा हटकर सोचें।

अब ये करें : चंद्रभेदी, सूर्यभेदी और भ्रामरी प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें।

भ्रामरी प्राणायम : दोनों हाथों के अँगूठे से दोनों कान बंद कर लें। दोनों हाथों की ऊपर की दो अँगुलियों को माथे पर रखें। तीसरी से नाक के बीच के भाग को हलका दबाएँ। बाकी की दोनों अँगुलियों को होंठों के ऊपर रखें। कोहनी ऊपर उठाए रखें। अब नासिका से पूरा श्वास भरें। कुछ क्षण आंतरिक कुम्भक कर नासिका से ही भौंरे की तरह गुंजन करते हुए धीरे-धीरे श्वास छोड़ें अर्थात रेचक करें। इसे चार से पाँच बार करें। इस गुंजन से कंपन पैदा होता है, जो मस्तिष्क तथा स्नायुमंडल को शांत करता है।

योग पैकेज : प्राणायाम में भ्रामरी और योगासनों में जानुशिरासन, सुप्तवज्रासन, पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन, ब्रह्ममुद्रा या फिर रोज सूर्य नमस्कार करें। प्रतिदिन पाँच मिनट का ध्यान करें। आप चाहें तो 20 मिनट की योग निद्रा लें जिसके दौरान रुचिकर संगीत पूरी तन्मयता से सुनें और उसका आनंद लें। यदि आप प्रतिदिन योग निद्रा ही करते हैं तो यह रामबाण साबित होगी।

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