Wednesday, September 23, 2009

अजवाइन में छुपे औषधीय गुण

अजवाइन की खेती सारे भारत में होती है। इस वस्तु से सब लोग भली-भाँति परिचित हैं। घरेलू औषधि से लेकर मसाले और आयुर्वेदिक दवाओं तक में इसका इस्तेमाल होता है।

गुण-दोष तथा आयुर्वेदिक मत

आयुर्वेद के मतानुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटी, हल्की, दीपन, कड़वी, पित्तवर्द्धक होती है। पाचक औषधियों में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके विषय में संस्कृत की एक कहावत है-'एकाजवानी शतमन्ना पचिका' अर्थात अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है। यह कहावत प्राचीनकाल से प्रचलित है और कई अंशों में सच भी है, क्योंकि इस एक ही वस्तु में चिरायते का कटु पौष्टिक तत्व, हींग का वायुनाशक गुण और कालीमिर्च का अग्निदीपक गुण पाया जाता है। अपने इन्हीं गुणों के कारण अजवाइन कफ, वायु, पेट का दर्द, वायु गोला, आफरा तथा कृमि रोग को नष्ट करने में समक्ष है। हैजे की प्राथमिक स्थिति में भी इसका प्रयोग उपयोगी है।

यूनानी मत
यूनानी मत के अनुसार यह गर्म तथा रुक्ष है और इसलिए गर्म प्रकृति वालों के लिए हानिकारक है। 'मखजनुल अदबिया' नामक यूनानी दवाओं की किताब के लेखक हकीम मीर मुहम्मद हुसैन के मतानुसार अजवाइन शरीर की वेदना को मिटाने वाली, कामोद्दीपक, वायु विकार को नष्ट करने वाली है। इसका शर्बत लकवा और कंपन वायु में लाभ पहुँचाने वाला है। इसके काढ़े से आँख धोने से आँखें साफ होती हैं तथा कानों में डालने से बहरापन मिटता है। छाती के दर्द में भी यह लाभकारी है। यकृत तथा प्लीहा की कठोरता को मिटाकर हिचकी, वमन,मिचलाहट, दुर्गंध, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना, पथरी इत्यादि बीमारियों में भी यह लाभ पहुँचाती है।

रासायनिक विश्लेषण
इसके अंदर एक प्रकार का सुगंधयुक्त उड़नशील द्रव्य रहता है, जिसको अजवाइन का फूल, अजवाइन का सत तथा अँगरेजी में थायमल कहते हैं।

अजवाइन का सत और तेल
कारखानों में अजवाइन को पानी में भिगोकर भाप द्वारा इसका सत खींचा जाता है। इस अर्क के ऊपर अजवाइन का तेल तैरकर आ जाता है। इसके तेल को अँग्रेजी में ओमम वाटर कहते हैं। अजवाइन के दो भेद होते हैं-अजवाइन खुरासानी और अजवाइन जंगली। इनके भी गुण धर्म अजवाइन से मिलते-जुलते हैं। प्रस्तुत है अजवाइन के लाभ एवं औषधि के रूप में उसके प्रयोग के बारे में कुछ नुस्खे -

* सर्दी-जुकाम : अजवाइन को गर्म करके पतले कपड़े में पोटली बाँधकर सूँघने से जुकाम और सर्दी में लाभ होता है। इसके अलावा अजवाइन को चबाने और उसका धुआँ तथा बफरा लेने से भी सर्दी-जुकाम में लाभ होता है और शरीर का दर्द तथा माथे का भारीपन दूर होता है।

* अफारा या आफरा : छः माशा अजवाइन में डेढ़ माशा काला नमक मिलाकर फंकी लेकर गर्म पानी पीना चाहिए। इस चूर्ण की दोनों समय दो माशा फंकी लेने से वायु गोला का नाश होता है और पेट का फूलना बंद हो जाता है।

* मंदाग्नि : अजवाइन, कालीमिर्च और सेंधा नमक तीनों चीजों को पीसकर गर्म जल के साथ प्रातःकाल फंकी लेने से उदर शूल, पेट का दर्द और मंदाग्नि मिटती है।
* आँतों की वेदना : अजवाइन सेंधा नमक, संचरा नमक, यवक्षार और हर्रे इन सबका समान भाग लेकर चूर्ण करके पाँच से दस रत्ती तक की मात्रा लेने से आँतड़ियों की वेदना और उदरशूल दूर होता है।

* सूखी खाँसी : अजवाइन को पान में रखकर चबाकर खाने से सूखी खाँसी में लाभ पहुँचता है।

* जोड़ों का दर्द : इसके तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

* बच्चों की उल्टी : बच्चों की उल्टी और दस्त मिटाने के लिए अजवाइन को पीसकर माँ के दूध के साथ देने से लाभ होता है।

* चर्म रोग : अजवाइन को पानी में गाढ़ा पीसकर दिन में दो बार लेप करने से दाद, खाज, कृमि पड़े हुए घाव तथा अग्नि से जले हुए स्थान में लाभ होता है।

* रजो दोष : अजवाइन के चूर्ण को तीन माशा की मात्रा में दिन में दो बार गर्म दूध में देने से स्त्रियों का रज खुल जाता है।

* कृमि रोग : इसके चूर्ण की चार माशे की मात्रा छाछ के साथ लेने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।

* नेत्र रोग : अजवाइन को जलाकर उसका कपड़छन चूर्ण करके जस्ते की सलाई से सुर्मे की तरह आंजने से आँखों के रोग में लाभ मिलता है तथा दाँतों पर मलने से दाँत साफ होते हैं तथा मसूढ़ों के रोग मिट जाते है।

* वात व्याधि : खुरासानी अजवाइन को पीसकर लेप करने से गठिया, संधिवात, जोड़ों की सूजन में लाभ होता है।

* दाँत का दर्द : खुरासानी अजवाइन को राल के साथ पीसकर दाँतों के खोखले में रखने से लाभ होता है।

* पेट का दर्द : खुरासानी अजवाइन को गुड़ में मिलाकर लेने से पेट की वायु पीड़ा मिटती है।

* पेट के कीड़े : प्रातःकाल थोड़ा गुड़ खाकर बासी पानी के साथ खुरासानी अजवाइन की फंकी लेने से पेट की कीड़े निकल जाते हैं।

प्रसूता स्त्रियों को अजवाइन देने से उन्हें भूख लगती है, अन्न पचता है, कमर का दर्द कम होता है और गर्भाशय की गंदगी साफ हो जाती है। प्रसूतिका ज्वर में भी अजवाइन बहुत लाभदायक है। फुस्फुस संबंधी रोगों में अजवाइन लेने से कफ का पैदा होना कम हो जाता है और घबराहट मिट जाती है। दमे के रोगों में इसको गर्म पानी के साथ देने से अथवा इसको चिलम में रखकर इसका धूम्रपान करने से लाभ होता है। फुस्फुस के जीर्ण रोगों में यह बहुत लाभदायक है।

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