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इसे हिन्दी में मक्का या भुट्टे कहते हैं तथा लेटिन में जीया मेयडिस। यह मोटे अनाज का रूप होता है और बारिश के मौसम में ही आता है।
वैसे कुछ लोग बारिश पूर्व भी इसका उत्पादन करते हैं, सिंचाई द्वारा, लेकिन कहा जाता है कि बारिश के द्वारा पैदा हुई मक्का ज्यादा स्वादिष्ट लगती है।
इसके भुट्टे में मक्का के कई दाने आते हैं। इस भुट्टे को आग पर सेंककर तथा फिर दाने निकालकर खाते हैं, ये दाने स्वादिष्ट, पाचक तथा शक्तिवर्धक होते हैं।
मक्का के दानों का किस बनाया जाता है, इन दानों को पीसकर भजिए बनाए जाते हैं। कई और भी व्यंजन हैं जो इसके द्वारा बनते हैं। यह बच्चों-बड़ों सभी को सेहतमंद बनाती है तथा पाचक होती है।
वर्तमान में इसका सीजन चल रहा है (भारत में)। इसके भुट्टे सूखने पर दाने निकाल लिए जाते हैं और मक्का को चक्की में पिसाकर आटा बनाकर इसकी रोटी खाई जाती है।
भारत में तो मक्का की रबड़ी जो छाछ द्वारा खाई जाती है और रोटी वह भी सरसों के साग के साथ बहुत पसंद की जाती है। होटलों पर मक्का दी रोटी व सरसों दा साग के बोर्ड देखे जा सकते हैं।
शक्तिवर्धक : ऋतु आने पर मक्का का सिरा, भुट्टा खाने से अमाशय को बल मिलता है। यह रक्तवर्धक है। मक्का के तेल की मालिश करने से शक्ति बढ़ती है।
मक्का : मौसमी अनाज
तेल निकालने की विधि : ताजे दूधिया मक्का के दाने पीसकर शीशी में भरकर खुली हुई शीशी धूप में रखें। दूध सूख कर उड़ जाएगा और तेल शीशी में रह जाएगा। छान कर तेल को शीशी में भर लें और मालिश किया करें। दुर्बल बच्चों के पैरों पर मालिश करने से बच्चा जल्दी चलेगा। एक चम्मच तेल शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
खाँसी, कूकर खाँसी, जुकाम : मक्का का भुट्टा जलाकर उसकी राख पीस लें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लें। नित्य चार बार चौथाई चम्मच गर्म पानी से फंकी लें, लाभ होगा।
पेशाब की जलन : ताजा मक्का के भुट्टे पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन, गुर्दों की कमजोरी दूर हो जाती है।
पथरी : मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें। जौ जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीस कर अलग-अलग शीशियों में भरकर उन शीशियों पर नाम लिख दें। एक कप पानी में दो चम्मच मक्का की राख घोलें फिर छानकर इस पानी को पी जाएँ, इससे पथरी गलती है, पेशाब साफ आता है।
यक्षमा : जिसे यक्षमा का पूर्वरूप हो उसे मक्का की रोटी खानी चाहिए।
Wednesday, September 23, 2009
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