महात्मा गाँधी की मान्यता थी कि मूँगफली का तेल असली घी से भी अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। उनकी इस धारणा में कितना तथ्य था इसे बताना तो कठिन है, क्योंकि गाँधीजी चिकित्साशास्त्री या स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं थे। लेकिन इसमें संदेह नहीं कि मूँगफली ऐसा अकेला खाद्य पदार्थ है जो सारी दुनिया में समान रूप से लोकप्रिय है और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक का हर तबका उसको बड़े शौक के साथ खाता है।
यद्यपि मूँगफली दक्षिण अमेरिका का उत्पादन माना जाता है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा उपज भारत में ही होती है। प्रचुर मात्रा में इसका निर्यात अमेरिका में किया जाता है, जहाँ उसकी खपत पूरे विश्व में सर्वाधिक है। वहाँ के लोग मूँगफली से बने मक्खन और पनीर को बड़े शौक से खाते हैं।
इस बात को शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि मूँगफली वस्तुतः पोषक तत्वों की अप्रतिम खान है। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में उसे विभिन्न पोषक तत्वों से सजाया-सँवारा है। 100 ग्राम कच्ची मूँगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है, जब कि मांस, मछली और अंडों में उसका प्रतिशत 10 से अधिक नहीं। 250 ग्राम मूँगफली के मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या 15 अंडों के बराबर ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है। मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी कारगर है। 250 ग्राम भूनी मूँगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है।
तिल और गुड़ के व्यंजनों के साथ मूँगफली का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद माना गया है। उसकी बिना भूनी गिरी यदि सुबह खाली पेट खाई जाए, तो आप ज्यादा तंदरुस्त होंगे।
Wednesday, September 23, 2009
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