Tuesday, September 22, 2009

Blood Pressure

उच्चे रक्त चाप
उच्चे रक्त चाप रोग नहीं है बल्कि शरी की रक्षात्मलक प्रणाली एवं संस्थाकन ठीक करने के लिए संकेत है। उच्चे रक्त चाप आधुनिक युग की देन है जिसके फलस्वमरूप पक्षाघात (लकवा), गुर्दे बेकार, दृष्टिदोष, अति दुर्बलता एवं हृदय रोग इत्याुदि हो जाते हैं।
लक्ष्णर:- प्रात: चलते समय सिर व गर्दन के पीछे दर्द, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, मानसिक असंतुलन, सिरदर्द, छाती में दर्द, घबराहट, क्रोध, जल्दीस उत्ते,जित हो जाना, चेहरे पर तनाव, पाचन संस्थारन की खराबी, आंखों का लाल होना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, अनिद्रा, नाक से खून आना इत्या दि एवं रक्तीचाप सामान्य से अधिक हो जाना।
कारण:- कब्ज , अपच, रक्तन कोलेस्ट्रो ल बढ़ जाना, धूम्रपान, अंत:स्रावी ग्रन्थियों (endocrine glands) का ठीक काम न करना, तनाव, गुर्दे की खराबी, मोटापा, गलत आहार-विहार, अम्ल,कारक खाद्य पदार्थो, नमक, चाय, काफी, सॉस, तला-भुना मसालेदार गरिष्ठ- भोजन इत्याअदि का अधिक सेवन तथा क्षमता से अधिक मानसिक कार्य करना, उचित व्याुयाम एवं विश्राम का अभाव इत्याददि। गर्भावस्था- में Toximia हो जाने के कारण भी उच्चज रक्तिचाप बढ़ जाता है।
उपचार उपरोक्त कारणों को दूर करें। यथाशक्ति कुछ दिन रसाहार (खीरा रस, गाजर रस, केले के तने का रस, चुकन्दतर का रस, बथुआ-हरा धनिया-पालक इत्याकदि का रस, नारियल पानी, नींबू शहद का पानी, घीया का रस, गेहूं के जवारे का रस, मौसम्मीछ का रस, गाय की छाछ) प्यााज, ककड़ी, टमाटर, संतरा, लौकी, सोयाबीन की दही फिर कुछ दिन अपक्वा्हार (फल, सलाद, अंकुरित) बाद में एक बार फल, एक बार सलाद, चोकर समेत आटे की रोटी एवं सब्जी ।
तुलसी के पत्ते – काली मिर्च के साथ सेवन करें। प्रात: खाली पेट तुलसी के पत्तेा शहद लगाकर चबायें। प्रात: एक नींबू का रस एवं एक चम्म च शहद पानी में मिलाकर पीना बहुत की लाभकारी है। रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पियें। त्रिफला का सेवन विशेष लाभकारी है।

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