Tuesday, September 22, 2009

Colestrol

अधिक रक्‍त कोलेस्‍ट्रोल

अधिक कोलेस्‍ट्रोल भी हृदय रोगों के मुख्‍य कारणों में से एक है। यह रक्‍त में छोटे-छोटे अणुओं के रूप में एक प्रकार की वसा (चिकनाई) है। कोलेस्‍ट्रोल शरीर की क्रियाओं में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों का निर्माण करने और वि भिन्‍न हारमोन्‍स के संयोजन के लिए आवश्‍यक होता है तथा यह नाडि़यों का आवरण और मस्तिष्‍क की कोशिकायें बनाता है। यह पाचन क्रिया के लिए Bile Juice का भी निर्माण करता है। यह वसा को शरीर के वि भिन्‍न भाग में पहुंचाता है तथा लाल रक्‍त कण की रक्षा करता है। ज्‍यादातर कोलेस्‍ट्रोल तो यकृत (Liver) में ही बनता है। कुछ भाग हमें भोजन से आता है। अत: जिनके भोजन में कोलेस्‍ट्रोल अधिक होता है उनके रक्‍त में कोलेस्‍ट्रोल का स्‍तर अधिक पाया जाता है जो हृदय के लिए घातक है।

यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपो-प्रोटीन(Lipo-Protein) कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है।

1 Low Density Lipo Protein

2 High Density Lipo Protein

Low Density Lipo Protein - LDL

यह ट्राइग्लिसराईड (तेलों का दूसरा नाम) और प्रोटीन के मिश्रण से बनता है। यह बहुत बुरा माना जाता है क्‍योंकि यह परिहृदय धमनियों (Coronary Arteries) में मदार्बुद(Athroma) के बनने में सहायक होता है जिससे रक्‍त संचारण में अवरोध(Blockage) उत्‍पन्‍न होता है और हृदयघात(Heart Attack) होने की स्थिति निर्मित होती है।

High Density Lipo Protein – HDL

इसे अच्‍छा कोलेस्‍ट्रोल माना जाता है क्‍योंकि यह मेदार्बुद को बनने से रोकता है। पूर्ण कोलेस्‍ट्रोल सामान्‍य स्‍तर पर होते हुए भी यदि HDL की मात्रा सामान्‍य से कम हो या LDL का अनुपात अधिक हो तो भी धमनियों में अवरोधक के बनने की संभावना रहती है।

कारण:

तला भुना, पशुजनित दूध व दूध से बने पदार्थ, गरिष्‍ठ भोजन का अधिक सेवन, मांस, अंडा इत्‍यादि। शराब एवं धूम्रपान भी कोलेस्‍ट्रोल को बढ़ाते हैं। मानसिक तनाव भी कोलेस्‍ट्रोल को बढ़ाता है क्‍योंकि तनाव से Adrenal Gland अधिक स्राव करके Fat Matabolism को प्रभावित करता है।

उपचार:

यह आवश्‍यक है कि LDL को घटाया जाये। अत: कोलेस्‍ट्रोल बढ़ाने वाले उपरोक्‍त दिये गये सभी खाद्य पदार्थ भोजन से हटा देने चाहिएं। कोलेस्‍ट्रोल बढ़ाने वाले सभी पशुजनित खाद्य पदार्थ छोड़ देने चाहिएं। खाने में नारियल एवं पाम (Palm) के तेल का प्रयोग भी कम कर देना चाहिए। रेशेदार (Fibres) खाद्य (चोकर समेत आटे की रोटी, छिलके समेत दाले, टमाटर, गाजर, अमरूद, हरी पत्‍तेदार सब्जियां, पत्‍तागोभी इत्‍यादि) लें। विटामिन बी प्रधान भोजन LDL को कम करता‍ है। प्रतिदिन कम से कम 50 ग्राम जई का चोकर (Oat Bran) किसी भी ढंग से खाना। अजवायन रक्‍त में हानिकारक कोलेस्‍ट्रोल की मात्रा कम करती है। लेशीथीन (Lecithin) जो चिकनाई युक्‍त भोजन है कोलेस्‍ट्रोल को रक्‍त नलिकाओं में जमने नहीं देता तथा कोलेस्‍ट्रोल से बाइल (Bile) के निर्माण को बढ़ाता है जिससे रक्‍त में कोलेस्‍ट्रोल कम हो जाता है। जिनका कोलेस्‍ट्रोल स्‍तर ज्‍यादा है उन्‍हें अधिक पानी पीना चाहिए। हरे नारियल का पानी बहुत ही उत्‍तम है। धनिया (Coriander) का पानी (पानी में धनियां उबालकर ठंडा करके) पीने से भी ज्‍यादा (Excess) कोलेस्‍ट्रोल मूत्र द्वारा शरीर से बाहर हो जाता है।

काला चना रात को भिगो दें, प्रात: उसका पानी पीने तथा चने खाने से बहुत लाभ होता है।

पेट पर मिट्टी पट्टी एवं कटिस्‍नान बहुत ही उपयोगी है। भाप स्‍नान भी लाभदायक है लेकिन उच्‍च रक्‍तचाप वालों के लिए वर्जित है।

नियमित व्‍यायाम एवं योगासन LDL को घटाते हैं और HDL को बढ़ाते हैं।

एच डी एल

नियासिन बनाए गुड एच डी एल को बेहतर

विटामिन बी 3 को नियासिन भी कहा जाता है। नियासिन की एक खासियत यह है कि यह रक्‍त में हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन (एच डी एल) के स्‍तर को बढ़ाता है। रक्‍त में एच डी एल के स्‍तर के बढ़े रहने से कोरोनरी आर्टरी डिसीज और दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

वाशिंग्‍टन विश्‍वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार नियासिन रक्‍त में एच डी एल कोलेस्‍ट्राल में प्रोटीन के संरचनात्‍मक स्‍वरूप को बदल देता है। प्रोटीन का यह बदला हुआ स्‍वरूप पूर्व के एच डी एल से कहीं ज्‍यादा बेहतर होता है। वस्‍तुत: कोरोनरी आर्टरी डिसीज (हृदय धमनी रोग) से ग्रस्‍त लोगों या फिर जिन लोगों के रक्‍त में कोलेस्‍ट्राल का स्‍तर बढ़ा होता है, उनका एच डी एल कम प्रभावकारी होता है। ऐसे लोगों को नियासिन सप्‍लीमेंटस का सेवन करना चाहिए।


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