Tuesday, September 22, 2009

Mirgi

मिर्गी
झाड़-फूंक से ठीक नहीं होता यह मर्ज
मिर्गी (epilepsy) एक ऐसी बीमारी है जिसमें मस्तिष्क। के इलेक्ट्रिकल्सट प्रवाह में व्यंवधान उत्पोन्नस हो जाता है। मिर्गी की वजह से शरीर या शरीर का कोई अंग अनियंत्रित गति से कंपन करता है। मरीज बेचैनी महसूस करता है। कुछ पीडि़त व्यसक्ति बेहोश भी हो सकते हैं। मिर्गी के दौरे सबसे ज्या दा बच्चोंव में और 65 वर्ष की आयु के बाद आते हैं, पर ये किसी भी उम्र में आ सकते हैं।

कारण - आनुवंशिक कारणों से यह बीमारी संभव है। इसके अलावा न्यू रोसिस्टीुसरकोसिस (वह मर्ज जिसमें पेट के कीड़े के अंडे दिमाग में पहुंच जाते हैं), सिर में चोट, काफी समय तक तेज बुखार रहना, ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रो क के कारण भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। वहीं इडियोपैथिक (जिन रोगों के कारण अज्ञात हों) और अन्यक मर्जों के चलते भी यह रोग संभव है।
जांच – ब्ल्ड टेस्टण, ई ई जी, सी टी स्कैेन, एम आर आई, पी ई टी। आदि।
इलाज – मिर्गी की सही प्रकार से पहचान आवश्यगक है। अपने न्यू रोलाजिस्टक की सलाह पर नियमित तौर पर दवा लेनी चाहिए। जूता सुंधाने से यह दौरा ठीक नहीं होता। मिर्गी के मर्ज को भूत-प्रेत बाधा आदि से जोड़ना एक अवैज्ञानिक बात है। झाड़-फूंक आदि से यह रोग दूर नहीं होता।
दौरे के समय इन बातों का रखें ध्याैन:- 1 मरीज को धीरे से करवट के बल लिटा दें। कोई मुलायम वस्तुस मरीज के सिर के नीचे रख दें और रोगी के कपड़ों को ढीला कर दें। 2 कभी भी मरीज के हिलते हुए अंगों को पकड़कर जबरदस्ती रोकने की या मरीज की बेहोशी की स्थिति में उसे चिल्लाककर उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
3 मरीज के साथ तब तक रहें जब तक कि उसे कोई चिकित्सककीय सहायता न मिल जाए।
सावधानियां
मिर्गी के मरीज अगर इन बातों पर ध्याकन दें, तो वे अपने मर्ज को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं।
1 रात्रि 9 बजे से सुबह 6 बजे तक अच्छीत नींद लें। 2 टेलीविजन न देखें और कंप्यू टर के प्रयोग से बचें।
3 धूप व शोर से बचें। आग के पास नहीं जाना चाहिए। 4 तैरना व वाहन नहीं चलाना चाहिए। 5 शराब और तम्बानकू का प्रयोग न करें। 6 दवाएं समय पर लें। कभी भी दवाओं को न्यूिरोलाजिस्टव की सलाह के बगैर बन्द नहीं करना चाहिए। 7 मरीज अपना वजन नियंत्रित रखें। 8 बच्चोंप को तेज बुखार से बचाएं। 9 अच्छीं तरह से धोकर सब्जियों या मांस का प्रयोग करना चाहिए।

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