Tuesday, September 22, 2009

Septosemea

सेप्टी सीमिया क्याट है और इसका बचाव व इलाज क्या है
रक्तट में जीवाणुओं के संक्रमण को सैप्टीचसीमिया कहते हैं। यह एक जानलेवा रोग है, जिसमें 50 प्रतिशत मरीज बचते नहीं हैं। ये जीवाणु (बैक्टीगरिया) अत्यं0त विषाक्तम होते हैं, जो रक्ति को मवाद जैसा बना देते हैं। यह अत्यिन्ते गंभीर स्थिति होती है। जीवाणु रक्तह में किसी गंभीर संक्रमण से पैदा होते हैं। जैसे – सड़क दुर्घटना, आंतों का फटना (परफोरेशन), पैन्क्रियास ग्रंथि के संक्रमण से, निमोनिया या बच्चेी दानी के विकारों से। गर्भपात के बाद या फिर शरीर में किसी भी भाग के आपरेशन के बाद यदि संक्रमणरोधी विधि (स्टेरराइल) से योग्यक सर्जन द्वारा अमुक आपरेशन न किया गया हो, तो इस स्थिति में भी सेप्टीससीमिया हो सकता है। रक्त में जीवाणुओं के संक्रमण से शरीर के अंगों का कार्य रूकने लगता है। सबसे ज्याहदा दुष्प्र भाव गुर्दों व लिवर, फेफड़ों और मस्तिष्कअ पर पड़ता है। इन अंगों के सुचारू रूप से काम न करने पर व फेल हो जाने पर रक्त में अमोनिया, यूरिया जैसे विषाक्तं पदार्थ मिश्रित हो जाते हैं तब मरीज के सांस लेने में अवरोध उत्पान्नय होता है। इस स्थिति में मरीज को वेंटिलेटर द्वारा कृत्रिम सांस की आवश्ययकता होती है और उसके बचने की उम्मीलद 20 प्रतिशत से कम हो जाती है। सेप्टी सीमिया का इलाज आई सी यू में ही संभव है। इस मर्ज से बचाव के लिए शरीर में किसी भी तरह के इन्फेंक्श।न को रोकना आवश्य क है। इसके लिए योग्यस चिकित्सलक से फोरन इलाज कराएं। चिकित्समकीय परामर्श से समय पर एंटीबायटिक्सस लें ताकि इंफेक्श न रक्तर में न पहुंचे।

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